गुरुवार, 2 दिसंबर 2021

जयकरी छन्द /चौपई

 



 

नीला-जलजात

ज्योत्स्ना प्रदीप

विभा- अनोखी  पूनम  रात।

यमुना- तट नीला-जलजात ।।

कितना   प्यारा   हैं  गोपाल ।

कमल  हँसे  नैनो  के  ताल।।

 

मोरपंख   न्यारा   शृंगार  ।

वंशी झरती  सुर की   धार ।।

मोहक  प्यारी  वंशी - तान।

राधा  करती  मोहन -ध्यान।।

 

छेड़े गिरधर जब- जब राग।

राधा - उर  जागे  अनुराग।।

दौड़ी - दौड़ी  आती   नार ।

कुंजबिहारी  से  अभिसार।।

 

मोहन - राधा  की ये  प्रीत।

पावन उर की पावन रीत।।

देखे  राधा जिस भी  ओर।

वंशीधर, गिरधर, चितचोर !



 

ज्योत्स्ना प्रदीप

(देहरादून )

 

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